Varuthini Ekadashi : यहां पढ़े कि कब है वरुथिनी एकादशी? जानिए इसका शुभ मुहूर्त,व्रत और पूजा विधि
- By Sheena --
- Friday, 14 Apr, 2023
When is Varuthini Ekadashi and shubh muhurat significance puja vidhi
Varuthini Ekadashi : 16 अप्रैल दिन रविवार को वरुथिनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन व्रत भी रखा जाता है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित है। साल में कुल 24 एकादशी के व्रत आते है। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वराह रुप की पूजी की जाती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत अन्नदान, कन्यादान दोनों श्रेष्ठ दानों का फल मिलता है। आइए जानते हैं वैशाख माह की वरुथिनी एकादशी कब है और उसका महत्व क्या होता है।
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वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
शास्त्रों में वरुथिनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस दिन व्रत कर पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि आती है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी वाला जल भी अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी तिथि
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल को रात 08 बजकर 45 मिनट से रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 16 अप्रैल दिन रविवार को शाम 06 बजकर 14 मिनट पर होगा। वहीं उदयातिथि के अनुसार वरूथिनी एकादशी का व्रत 16 अप्रैल दिन रविवार को रखा जाएगा।
वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल वरूथिनी एकादशी 16 अप्रैल 2023, रविवार को पड़ेगा। पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि 15 अप्रैल 2023 को 08:45 बजे प्रारंभ होगी और 16 अप्रैल 2023 को सायंकाल 06:14 बजे समाप्त होगी। इस व्रत का पारण 17 अप्रैल 2023 को प्रात:काल 05:54 से 08:29 के बीच किया जाएगा।
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
1.एकादशी के दिन सबसे पहले प्रात:काल में उठें और फिर स्नान करें। यदि आपके पास गंगा जल है तो उसे पानी में डालकर फिर ही स्नान करें।
2.स्नान के बाद साफ-धुले कपड़े पहने और फिर पूजा स्थल पर स्थान ग्रहण करें। सबसे पहले मंदिर में घी का दीपक जलाएं इसके बाद पूजा आरंभ करें।
3.पूजा के लिए आप भगवान विष्णु की मूर्ति या उनकी तस्वीर को एक चौकी पर स्थापित कर सकते हैं।
4.इसके बाद उनपर फल-फूल, तुलसी के पत्ते आदि चीजें अर्पित करें।
5.इस दिन विष्णु पुराण का पाठ करना बहुत ही शुभ और आवश्यक माना जाता है।
6.अंत मे विष्णु आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।